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> P-N जंक्शन डायोड मे विधुत धारा का प्रवाह केवल अग्र अभिनति मे होता है पश्र्च मे
नही ।
> P-N जंक्शन डयोड मे कोटर ग्राहि तथा इलैक्ट्रॉन दाता कहलाते है।
> P-N जंक्शन डयोड कि अग्र अभिनति मे अवक्षय परत कि चौडाई घटती है तथा पश्र्च
अभिनति मे अवक्षय परत कि चौडाई बढ़ती है।
> डयोड का प्रयोग इलैक्ट्रॉनिक परिपथो मे एक स्विच की भांति प्रयोग किया जा
सकता है
> जिस विभवान्तर पर किसी डायोड मे से विधुत धारा का प्रभवी प्रवाह प्रारम्भ हो
जाये वह उसका रोधि विभव ( बेरियर पोटेंशियल ) कहलाता है
> सिलिकॉन का रोधिका विभव 0.7V होता है।
> जर्मेनियम का रोधिका विभव 0.3V होता है।
> रोधिका विभव का मान तापमान के बढने से घटता है।
> रिवर्स बायस अवस्था मे किसी डायोड के सिरो पर आरोपित किया जा सकने वाला
अधिकतम वि.वा.बल पीक इन्वर्स वोल्टेज कहलाता है।
> रिवर्स बायस अवस्था में आरोपित वि.वा.बल का मान एक निशचित सीमा से अधिक
हो जाये तो रिवर्स दिशा मे विधुत धारा का मान अचानक बहुत बढ जाता है यह
स्थिति ब्रेक डाउन कहलाती है
> किसि डयोड मे से प्रवाहित हो सकने वाली अधिकतम प्रारम्भिक विधुत धारा,
सर्ज धारा कहलाती है
> जेनर डायोड भंजन वोल्ता (ब्रेकडाउन वोल्टेजके) के सिद्धांत पर कार्य करता है
इसलिये इसे भंजन डायोड भी कहते है
> जेनर डायोड को परिपथ में रिवर्स बायस अवस्था में प्रचालित किया जाता है
> जेनर डयोड का प्रयोग सामान्यत: विनियमन परिपथो ( रेगुलेटरो ) में किया जाता है।
अर्थात यह परिपथ मे वोल्टेज को स्थिर रखता है।
> प्रकाश उत्सर्जक डयोड (LED) एक प्रकार का डायोड है जो उर्जित होने पर प्रकाश
उत्पन करता है परंतु A.C को D. C मे परिवर्तित नहि करता
> LED मे गर्म होने के लिये कोई तन्तु नहि होता इसलिये यह जलने के लिये कम धारा
लेते है।